मेघालय राज्य की राजधानी शिलांग से 28 किलोमीटर का सफ़र तय करने के बाद मावफलांग गाँव आता हैं। ईस्ट खासी हिल्स जिले में पड़ने वाला यह गाँव, जयंतिया और खासी पहाड़ियों के बीच पड़ता हैं। यह खासी आदिवासी समुदाय द्वारा 800 सालों से अधिक समय तक सहेज कर रखे गए पवित्र वन के लिए विश्व… Continue reading मावफलांग पवित्र वन: खासी विरासत
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सरिस्का: प्राचीन नगर राजौर व मंदिरों का खोया हुआ संसार
मंगलसर बाँध से कांकवाड़ी एक्सेस रोड पर आगे बढ़ते हैं। दूर रास्ते से ही नीलकंठ मंदिरों का गेटवे नजर आने लगता हैं। यहाँ सड़क कच्ची हैं। क्योंकि यह इलाक़ा सरिस्का टाइगर रिज़र्व के बफर जोन में होने के कारण पक्की सड़क का निर्माण निषेध हैं। पहाड़ी पर सड़क घुमावदार मोड़ लेते हुए ऊपर की ओर… Continue reading सरिस्का: प्राचीन नगर राजौर व मंदिरों का खोया हुआ संसार
चाँद बावड़ी- एक स्वर्णिम अतीत जिस पर इतिहास लगभग मौन हैं
प्राचीन भारत के इतिहास के प्रतीकों के प्रति मेरा खास लगाव रहा है। एक ऐसा ही प्रतीक राजस्थान के जिले दौसा में स्थित आभानेरी गांव की विश्व की विशालतम स्टेपवैल चाँद बावड़ी है (Step-Well: राजस्थानी भाषा में जिसे बावड़ी कहते हैं)। आज हम चाँद बावड़ी का यात्रा करते हैं। अनेक सवालों के साथ, जयपुर से… Continue reading चाँद बावड़ी- एक स्वर्णिम अतीत जिस पर इतिहास लगभग मौन हैं