बटेसर मंदिर परिसर: चंबल का आश्चर्य

मुरैना में आने से पहले चंबल के बीहड़ों की खतरनाक छवि मेरे मन में थी। मूलतः यह छवि भारतीय सिनेमा से प्रेरित थी। यहां आने से पहले बताया गया था कि सूरज ढलने से पहले ही यात्रा को विराम देना सुरक्षित रहेगा। इस हिदायत का पूरा ध्यान भी रखा गया। लेकिन इस यात्रा ने मुझे… Continue reading बटेसर मंदिर परिसर: चंबल का आश्चर्य

ककनमठ मंदिर: भारत का गौरवशाली अतीत

साल 2018 के अंतिम दिनों में हम मुरैना जिले में प्राचीन मंदिरों की तलाश में घूम रहे थे। इस कड़ी का हिस्सा था सिहोनीया (प्राचीन सिंघपनिया) का ककनमठ मंदिर। यह मंदिर सिहोनीया गाँव से 3 कि॰ मी॰ बाहर की तरफ है। वहाँ पहुँचने के लिए सिहोनीया के हरे-भरे के खेतों के बीच से जा रही सड़क… Continue reading ककनमठ मंदिर: भारत का गौरवशाली अतीत

भीमबेटका शैलाश्रय (Rock Shelters): चित्रकारी, प्राकृतिक इतिहास व आदिवासीयत

यह 1957 का साल था, एक महान रहस्योदघाटन होने जा रहा था। पुरातत्वविद डॉ॰ विष्णु श्रीधर वाकणकर ट्रेन से भोपाल का सफर कर रहे थे , जब ट्रेन रातापानी के जंगल से गुजरी तो पहाड़ों की कुछ असामान्य चट्टानों की तरफ उनकी नजर पड़ी। वे एक दिन उन चट्टानों के अध्ययन के लिए जंगल में… Continue reading भीमबेटका शैलाश्रय (Rock Shelters): चित्रकारी, प्राकृतिक इतिहास व आदिवासीयत

उत्तराखंड: फूलों की घाटी ट्रेक- भाग-1

जयपुर से रुद्रप्रयाग अगस्त 12, 2017। रेणु, नीरज और मैं रात 10 बजे जयपुर जंक्शन पर उदयपुर-हरिद्वार एक्सप्रेस का इंतज़ार कर रहे थे। रेणु और मेरा टिकिट एसी-3 में कन्फ़र्म था और नीरज की वेटिंग क्लियर नहीं हुई थी। उस दिन ट्रेन निर्धारित समय से 1:00 घंटे की देरी से चल रही थी। इस यात्रा… Continue reading उत्तराखंड: फूलों की घाटी ट्रेक- भाग-1

बालपकरम से चेरापुंजी

मार्च 09, 2018 यात्रा वृतांत के इस भाग में बालपकरम से चेरापुंजी तक के 160 कि॰मी॰ के सफर को समेटने की कोशिश करेंगे। यह यात्रा मुख्यतः भारत –बांग्लादेश सीमा पर थी। यायावरी के उन लम्हों में बिताया एक-एक पल चुनौतियों के साथ रोमांच से भरा था, जिसने मुझे भारत के छुपे हुए इस भू-भाग को… Continue reading बालपकरम से चेरापुंजी

बालपकरम नेशनल पार्क, मेघालय

बालपकरम नेशनल पार्क, मेघालय राज्य के साउथ गारो हिल जिले में स्थित है। यह जैव विविधता का महत्वपूर्ण केंद्र है तथा नोकरेक बायोस्फियर रिजर्व का हिस्सा है। इसे गारो मान्यताओं व परम्पराओं में पवित्र स्थान माना गया है। प्रस्तुत है मार्च, 2018 के मेघालय भ्रमण के कुछ पन्ने।

बाघमारा – अभावों के बीच सुंदर दुनिया

मार्च 8, 2018 साउथ गारो हिल जिला, मेघालय सिजु गुफा और पक्षी अभ्यारण्य का एपिसोड पूरा हो गया। मैंने अविस्मरणीय यादों के साथ 11.15 बजे सिजु को अलविदा कह दिया। गारो हिल में मिले प्यार ने मुझे कई बार भावुक बना दिया। जहां से भी रवाना होता तो लोग जरूर पूछते, " वापस कब आओगे?"… Continue reading बाघमारा – अभावों के बीच सुंदर दुनिया

सिजु गुफा, मेघालय

साउथ गारो हिल जिला, मेघालय  08 मार्च, 2018 सिजु गुफा जिसे स्थानीय लोग 'डोबाखोल ' के नाम से जानते हैं, राष्ट्रीय राजमार्ग 217 से 5 कि॰मी॰ दूर, अपर सिजु और लोअर सिजु गाँव  के बीच, सोमेश्वरी नदी के तट पर स्थित है। डोबाखोल का गारो भाषा में अर्थ है- चमगादड़ों की गुफा। मुख्य मार्ग (एन॰एच॰ 217)… Continue reading सिजु गुफा, मेघालय

सिजु पक्षी अभ्यारण्य – मेघालय

साउथ गारो हिल जिला, मेघालय8 मार्च, 2018  सुबह की आहट पाकर पक्षियों की चहचहाहट शुरू हो गई थी, इसी से मेरी नींद टूट गई। मैं गेस्ट हाउस के कमरे से बाहर निकल कर बेंच पर बैठ गया। मेरे एक तरफ जंगल है और दूसरी तरफ सोमेश्वरी नदी बह रही है। आधुनिक शोर-शराबे से दूर प्रकृति… Continue reading सिजु पक्षी अभ्यारण्य – मेघालय

नोकरेक से सिजु की यात्रा

नोकरेक नेशनल पार्क (दरिबोकगरे) से मार्च की इस दोपहरी में मेघालय यात्रा के अगले पड़ाव सिजु के लिए रवाना हो गया। दरिबोकगरे संपर्क सड़क ओरगिटोक में तुरा-विलियम नगर मार्ग के जुड़ जाती है। ओरगिटोक से आगे यह मार्ग सिमसांग नदी के साथ-साथ चलता है। सिमसांग का उद्गम  नोकरेक की पहाड़ियों से हैं। सिमसांग खूबसूरत घूमावदार… Continue reading नोकरेक से सिजु की यात्रा

नोकरेक नेशनल पार्क, मेघालय

सुबह 6 बजे तुरा शहर मॉर्निंग वाक पर था,  मैं होटल से चेक-आउट कर नोकरेक नेशनल पार्क (दरिबोकगरे बेस कैम्प) के लिए रवाना हो रहा था। तुरा गारो हिल्स का सबसे बड़ा शहर है, इसे मेघालय की दूसरी राजधानी भी माना जाता है। यही से पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पी.ए. संगमा लोकसभा जाते थे। यहाँ की… Continue reading नोकरेक नेशनल पार्क, मेघालय

शिलांग से तुरा की यात्रा

        मैं गुवाहाटी से शिलांग 04 मार्च, 2018 को पंहुचा था। वहां से अगले दिन मावफलांग पहुँचा। मावफलांग से मधुर यादों के साथ 06 मार्च, 2018 की दोपहर में नोकरेक नेशनल पार्क के लिए रवाना हो गया। मावफलांग से चार किलोमीटर चलने पर मावंलाप गाँव आता है, यही से शिलांग से नोंगस्टोइन को जोड़ने वाला  NH-106 मिलता है।… Continue reading शिलांग से तुरा की यात्रा

मावलीननोंग – एक आदर्श गाँव की खोज

आज (13.03.2018) मेघालय दर्शन का नौवां दिन था और आखिरी चरण भी। आज की यात्रा के लिए एक अरसे से उत्साहित था क्योंकि मैं मावलीननोंग यानी एशिया के सबसे स्वच्छ गांव जाने वाला हूँ। मावलीननोंग मेघालय के पूर्व खासी हिल्स जिले का एक छोटा-सा गांव है जो 2003 में सुर्खियों में आ गया जब डिस्कवर… Continue reading मावलीननोंग – एक आदर्श गाँव की खोज

चौंसठ योगिनी मंदिर, मुरैना और संसद भवन

बचपन से आपने चम्बल के डकैतों के क़िस्से-कहानियां ज़रूर सुने होंगे। चम्बल नदी ने दुर्गम बीहड़ों का निर्माण किया, और इसी दुर्गमता ने डकैतों को पनपने के लिये उपजाऊ ज़मीन दी। लेकिन 1990 के दशक के अंत तक हालात बदल गए। एक तरफ सड़कों का जाल बिछाया गया, दूसरी तरफ कानून व्यवस्था में किये सुधारों… Continue reading चौंसठ योगिनी मंदिर, मुरैना और संसद भवन

मावफलांग गाँव: डेविड स्कॉट ट्रेक, डैम व्यू

पूर्वोतर भारत की मेरी इस सोलो-बाइक ट्रिप का पहला पड़ाव मावफलांग गाँव हैं। मावफलांग, मेघालय का एक प्रसिद्ध और खूबसूरत गाँव हैं।यह गाँव मावफलांग सेक्रेड ग्रोव (पवित्र वन), डेविड स्कॉट ट्रेक, खासी हेरिटेज विलेज और मावफलांग डैम के लिए प्रसिद्ध हैं। राजधानी शिलांग से घुमावदार रास्तों एवं नयनाभिराम नजारों से होते हुए, प्राइवेट शेयर्ड टैक्सी… Continue reading मावफलांग गाँव: डेविड स्कॉट ट्रेक, डैम व्यू

मावफलांग पवित्र वन: खासी विरासत

मेघालय राज्य की राजधानी शिलांग से 28 किलोमीटर का सफ़र तय करने के बाद मावफलांग गाँव आता हैं। ईस्ट खासी हिल्स जिले में पड़ने वाला यह गाँव, जयंतिया और खासी पहाड़ियों के बीच पड़ता हैं। यह खासी आदिवासी समुदाय द्वारा 800 सालों से अधिक समय तक सहेज कर रखे गए पवित्र वन के लिए विश्व… Continue reading मावफलांग पवित्र वन: खासी विरासत

सरिस्का: प्राचीन नगर राजौर व मंदिरों का खोया हुआ संसार

मंगलसर बाँध से कांकवाड़ी एक्सेस रोड पर आगे बढ़ते हैं। दूर रास्ते से ही नीलकंठ मंदिरों का गेटवे नजर आने लगता हैं। यहाँ सड़क कच्ची हैं। क्योंकि यह इलाक़ा सरिस्का टाइगर रिज़र्व के बफर जोन में होने के कारण पक्की सड़क का निर्माण निषेध हैं। पहाड़ी पर सड़क घुमावदार मोड़ लेते हुए ऊपर की ओर… Continue reading सरिस्का: प्राचीन नगर राजौर व मंदिरों का खोया हुआ संसार

चाँद बावड़ी- एक स्वर्णिम अतीत जिस पर इतिहास लगभग मौन हैं

प्राचीन भारत के इतिहास के प्रतीकों के प्रति मेरा खास लगाव रहा है। एक ऐसा ही प्रतीक राजस्थान के जिले दौसा में स्थित आभानेरी गांव की विश्व की विशालतम स्टेपवैल चाँद बावड़ी है (Step-Well: राजस्थानी भाषा में जिसे बावड़ी कहते हैं)। आज हम चाँद बावड़ी का यात्रा करते हैं। अनेक सवालों के साथ, जयपुर से… Continue reading चाँद बावड़ी- एक स्वर्णिम अतीत जिस पर इतिहास लगभग मौन हैं

मंगलसर बांध – सरिस्का टाइगर रिज़र्व

किसी पूर्व योजना के बिना हम जयपुर से अलवर जिले में स्थित टहला के निकट नीलकंठ महादेव के प्राचीन मंदिरों के तलाश में आए हैं। भानगढ़-टहला मार्ग पर टहला से 2 किलोमीटर पहले, बाएं तरफ नीलकंठ की और एक सड़क जाती हैं। इस संकरी सड़क पर चढ़ते ही, एक तरफ हरे भरे सरसों-गेहूं-चने के खेतों… Continue reading मंगलसर बांध – सरिस्का टाइगर रिज़र्व

चंदलाई झील – एक नगरीय उम्मीद

जयपुर अर्बन- रूरल फ्रिंज पर खूबसूरत झील चन्दलाई हैं. शिवदासपुरा के निकट टोंक रोड से उतरकर दाएँ तरफ 1-2 किमी चलते ही झील नजर आने लगती हैं। झील के समीप पहुँचते ही तापमान में गिरावट सर्दी के एहसास को बड़ा देता हैं। सर्दियों की धुन्ध में झील के लेक आइलैंड से आगे क्षितिज खो जाता… Continue reading चंदलाई झील – एक नगरीय उम्मीद